सोमवार, 19 नवंबर 2018

रिश्ते क्यों टूट जाते हैं।

बात रिश्तों की हो तो आज के समय में सबका रिश्ता एक दूसरे से दूर होता दिख रहा है। आजकल की भागदौड़, चकाचौंध और चमक-दमक ने हर किसी से फुरसत के पल छीन लिए हैं। सब अपने रंग में रंगने की कोशिश कर रहे हैं हर कोई यह भूल गया है कि इस तिलमिलाहट के अलावा भी कितने लोगों से हमारा गहरा रिश्ता है जो भले-बुरे वक्त में हमारे काम आते हैं। सब ये भूल गये हैं कि रिश्तों में भी शक्ति होती है रिश्तों की डोर हमें बाँध के रखती है रिश्ते ही हमें एहसास दिलाते हैं कि हम रिश्तों के लिए ही बने हैं। रिश्ते से ही हम आपस में खुश रहते हैं, दुःख दर्द में सहयोग और अच्छे वक्त में खुशियाँ मनाते हैं।

रिश्तों में खामियां

कमियाँ रिश्तों में नहीं कमियाँ हममें ही हैं अगर आज देखें तो हम स्वयं रिश्तों से दूर भाग रहे हैं शायद हम रिश्तों को बोझ समझने लगे हैं यकीन करो बात दूर के रिश्तों की नहीं घर के रिश्तों की हो रही है क्यों हम अपने आप को इतना ताकतवर समझ बैठे हैं यह समझ नहीं आता‌। रिश्ता एक खिलौना मात्र रह गया है जो समय के साथ-साथ ओझल हो जाता है। और अगर बात करें उम्र और रिश्ते की तो उम्र बहुत छोटी पड़ जाती है रिश्तों के सामने, फिर भी हम आज रिश्तों को मानने को तैयार ही नहीं। कितने दुःख की बात है कि जो सच है उस तरफ देख ही नहीं रहे हैं और जो कुछ है ही नहीं उस तरफ भागे जा रहे हैं।

रिश्ता अनजाना ही सही
रिश्ता आसमान का जमीं से है




अधूरे रिश्ते  

 अगर सच कहूँ तो अब कुछ ही रिश्ते रह गये हैं बाकी सब रिश्ते हर तरफ से भूलाए जा रहे हैं कोई नहीं चाहता कि रीति रिवाजों के साथ चला जाय हर कोई कोशिश कर रहा है कि अपने अलग रिवाज बनाए जाय। सबका यही सोचना और मानना है कि क्यों इतनी मुसीबतों को साथ लेकर चलें लेकिन जब एक दिन खुद पर मुसीबत पड़ती है तो फिर सब रिश्ते याद आते हैं और ऐसे भी रिश्ते याद आने लगते हैं जिनके बारे में कभी सोचने को भी समय नहीं हुआ था लेकिन आज हम रिश्तों को सिर्फ याद ही करते हैं बाकी कुछ नहीं।
हमारे पास कहने को कुछ नहीं रह जाता बस महसूस करते हैं उन रिश्तों को जिनसे हम दूर भाग रहे थे।

रिश्ते हुए पराए

कितनी अजीब बात है जिन्दगी में जिसे हम याद भी नहीं करना चाहते आज उसकी जरुरत का एहसास हमें होने लगता है आज हम उसे ही अपनी जिन्दगी का आधार मानने लगते हैं उसी पर सारी उम्मीदें टिक जाती हैं लेकिन वक्त का खेल वक्त के साथ ही चलता है वही हमारे साथ होता है जिसको होना होता है।

हम जरुरत के हिसाब से रिश्ते निभाने की कोशिश करते हैं मतलब रिश्ते निभाते नहीं रिश्तों को इस्तेमाल करते हैं जो एक दिन हमें यह एहसास दिला देते हैं कि बिना रिश्तों के जिन्दगी नहीं चलती है जिन्दगी का सच यही है कि रिश्ते ही जिन्दगी हैं।

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