सोमवार, 12 नवंबर 2018

एक सफर मंजिल की ओर

      अच्छा काम करने का कोई समय नहीं होता बस शुरू करना ही 'एक सफर' की शुरुआत है।


मैं जब भी अपने जिन्दगी की किताब को पलटकर देखता हूँ तो अफसोस के अलावा और कुछ नहीं मिलता, ये जो छोटा सा सफर रहा है इसमें इतनी अनगिनत गलतियाँ हुई हैं जिनका हिसाब नहीं लगाया जा सकता। किन्तु अब भी कुछ वक्त है जिसमें उन तमाम गलतियों के बदले कुछ ऐसा किया जाय कि खुद से जो सवाल हैं उनका जवाब मिल सके और एक सफर की शुरुआत की जाय।

जिन्दगी का सफर बड़े ही सुकून से तय होता है,उछल-कूद कर वही चलता है जिसे खुद से भय होता है।





मुसाफिर की राह
मुसाफिर 


बात उन गुनाहों से शुरू होती है जो बेवजह ही किसी के लिए किये जाते हैं, जिनका हमसे बहुत दूर का भी नाता नहीं होता जिन्दगी उनको हमारे इतने करीब ला देती है कि हमारे खुद के रास्ते तो बन्द हो ही जाते हैं, साथ में उनके भी रास्ते नजर नहीं आते। यह अजीब खेल लगभग हर किसी की जिन्दगी में शामिल होता है।
कितने दिल ऐसे भी हैं जो आज भी किसी की याद में अन्दर ही अन्दर बड़े जोर से धड़क रहे हैं और यह आवाज सुनने वाला बेशक पास ही हो लेकिन सच यही है की एहसास कराने वाला बहुत दूर हो जाता है। और यही जीवन का सत्य है जो हमारे नसीब में होता है वही हमारे करीब रहता है वरना क्या वजह थी उसके दूर जाने की जिसकी मुलाकात तकदीर ने वक्त से पहले की थी। हमें पर पल खुश रहने की जरुरत है जो मिल रहा है वही हमारा सब कुछ है इसी विचार से जिन्दगी के सफर का आनंद लेना 'एक सफर' की शुरुआत है।


चलते रहो ,


    ना खुद रुको, ना रुकने दो।
    जिन्दगी, 'एक सफर' है
    इसे खूब उठाओ
    ना खुद झुको, ना झुकने दो । 


1 टिप्पणी:

Mahi Hindustani ने कहा…

काश मेरा आज कल जैसा होता,
मेरा आने वाला कल बीते कल सा होता,
तो इन्हीं सब कल के सहारे मैं
अपने सारे कल गुजार लेता।

एक सफर

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