नशा क्या है
मनुष्य जीवन आनंद के लिए बना है किन्तु आनंद की भी अपनी सीमाएँ हैं हम उन सीमाओं का उल्लंघन करते हुए एक ऐसे कष्टदायी संसार में चले जाते हैं जहाँ से वापस आ पाना बहुत कठिन हो जाता है। ऐसे समय में हमारे पास पश्च्याताप के अलावा और कोई दूसरा शब्द नहीं रहता।
*नशे की लत ने हर शक्स को जिन्दगी से बहुत दूर धकेला है
नशे तो बहुत हैं मगर जिन्दगी का नशा अकेला है*
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बेतरतीब |
नशा एक रोग
जिस भी प्राणी को नशे की लत लग जाती है वह अपना सब कुछ एक-एक कर खोता जाता है, जिन्दगी उसे मौका ही नहीं देती बल्कि सारे मौके छीनना शुरू के देती है। ऐसे में जीवन बहुत कष्टदायी हो जाता है और इंसान अपनी ही नजरों में गिर जाता है वह अपने आप से घृणा करने लगता है, अपनी ही हरकतों पर अफसोस होता है, यह उसकी सबसे बड़ी हार होती है नशे की लत उसकी हर खुशियों पर कब्जा कर लेती है। नशा भी तरह-तरह का होता है मतलब किसी भी चीज का आवश्यक से अधिक इस्तेमाल करना नशा ही है। लेकिन आज जिस नशे पर ज्यादा चर्चा हो रही है वो एल्कोहल से सम्बंधित है।
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पश्चातप |
नशे से नुकसान
नशे की लत एक ऐसे जहर के समान है जो जहर हमें ही नहीं हमारे सगे- सम्बन्धियों को भी ऐसे रास्ते पर लाकर खड़ा कर देता है जहाँ से हर मंजिल का दरवाजा तो बन्द हो ही जाता है और साथ ही एक कदम चलने को भी रास्ता नजर नहीं आता।
*नशे से हम जीवन के पथ पर सही तरीके से आगे नहीं बढ़ पाते आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होते जाते हैैं।
*अपने लक्ष्य से दूर होते जाते हैं।
*सोच विचार क्षमता भी बहुत कम हो जाती हैै।
*खान पान या आहार ठीक से नहीं लेना।
*एक अनुभव से अनजान रहना, कुछ रोचक तथ्यों तक नहीं पहुँच पाना या जिन्दगी की मिठास से बहुत रहना।
*नशा करने के बाद उन सभी रिश्तेदारों से दूर भागते हैं जो हमेशा हमारा भला चाहते हैं जो हमारे भविष्य के बारे में चिन्तन करते हैं।
*नशा हमें वास्तविकता से दूर ले जाता है यह हमें एक ऐसे बंधन में बाँध देता है जिससे हम छुटकारा तो पाना चाहते हैं लेकिन छूट नहीं पाते।
नशे को कैसे दूर करें
जब नशे के इतने नुकसान साफ साफ नज़र आते हैं तो इसके बाद भी नशे के बारे में सोचना शायद सही नहीं है। फिर भी कुछ बातें रह जाती हैं नशे को खुद से दूर करने वाली।
अगर याद करें बचपन से लेकर अब तक की जिन्दगी को, हम कब अच्छे थे, कब बुरे बन गये, वो क्या वजह बनी जब बुरी आदतों से हम घिरने लगे उन सब चीजों के पास जाने लगे जो हमारे साथ-साथ किसी और के लिए भी ठीक नही था। क्यों हम ऐसे माहौल में पहुंच गये जिससे तकलीफ का सामना करना पड़ा ।
इतना आसान तो नही है ये सब किन्तु एक तरीका है , हमें खुद इस बारे में गहरा मंथन (सोच-विचार) करना होगा-
1-मैं क्यों बुरी आदतों का त्याग कर रहा हूं ?
2-इससे मुझे फायदा और नुकसान?
3- छोडने के बाद तकलीफ का सामना कैसे होगा?
ये सब अगर हमने सोच और समझ लिया तो ऐसी कोई मजबूरी सामने नही आ सकती जो हमें कमजोर कर दे और खुद पे जो विश्वास झलकता है वो कहीं और से मिलना मुमकिन नहीं।
जिन्दगी जो मिली है इसको आबाद करें ,आओ इस नशे को खुद से बरबाद करें।धन्यवाद
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