एक ऐसे सफर की ओर ले जा रहा हूँ जो अकसर अधूरा रह जाता है, वजह मैं भी नहीं समझ पाया अगर कोई फौजी भाई या किसी को पता हो तो कृपया जरुर टिप्पणी करें।
मंगलवार, 27 नवंबर 2018
सोमवार, 19 नवंबर 2018
रिश्ते क्यों टूट जाते हैं।
बात रिश्तों की हो तो आज के समय में सबका रिश्ता एक दूसरे से दूर होता दिख रहा है। आजकल की भागदौड़, चकाचौंध और चमक-दमक ने हर किसी से फुरसत के पल छीन लिए हैं। सब अपने रंग में रंगने की कोशिश कर रहे हैं हर कोई यह भूल गया है कि इस तिलमिलाहट के अलावा भी कितने लोगों से हमारा गहरा रिश्ता है जो भले-बुरे वक्त में हमारे काम आते हैं। सब ये भूल गये हैं कि रिश्तों में भी शक्ति होती है रिश्तों की डोर हमें बाँध के रखती है रिश्ते ही हमें एहसास दिलाते हैं कि हम रिश्तों के लिए ही बने हैं। रिश्ते से ही हम आपस में खुश रहते हैं, दुःख दर्द में सहयोग और अच्छे वक्त में खुशियाँ मनाते हैं।
हमारे पास कहने को कुछ नहीं रह जाता बस महसूस करते हैं उन रिश्तों को जिनसे हम दूर भाग रहे थे।
हम जरुरत के हिसाब से रिश्ते निभाने की कोशिश करते हैं मतलब रिश्ते निभाते नहीं रिश्तों को इस्तेमाल करते हैं जो एक दिन हमें यह एहसास दिला देते हैं कि बिना रिश्तों के जिन्दगी नहीं चलती है जिन्दगी का सच यही है कि रिश्ते ही जिन्दगी हैं।
रिश्तों में खामियां
कमियाँ रिश्तों में नहीं कमियाँ हममें ही हैं अगर आज देखें तो हम स्वयं रिश्तों से दूर भाग रहे हैं शायद हम रिश्तों को बोझ समझने लगे हैं यकीन करो बात दूर के रिश्तों की नहीं घर के रिश्तों की हो रही है क्यों हम अपने आप को इतना ताकतवर समझ बैठे हैं यह समझ नहीं आता। रिश्ता एक खिलौना मात्र रह गया है जो समय के साथ-साथ ओझल हो जाता है। और अगर बात करें उम्र और रिश्ते की तो उम्र बहुत छोटी पड़ जाती है रिश्तों के सामने, फिर भी हम आज रिश्तों को मानने को तैयार ही नहीं। कितने दुःख की बात है कि जो सच है उस तरफ देख ही नहीं रहे हैं और जो कुछ है ही नहीं उस तरफ भागे जा रहे हैं।![]() |
रिश्ता आसमान का जमीं से है |
अधूरे रिश्ते
अगर सच कहूँ तो अब कुछ ही रिश्ते रह गये हैं बाकी सब रिश्ते हर तरफ से भूलाए जा रहे हैं कोई नहीं चाहता कि रीति रिवाजों के साथ चला जाय हर कोई कोशिश कर रहा है कि अपने अलग रिवाज बनाए जाय। सबका यही सोचना और मानना है कि क्यों इतनी मुसीबतों को साथ लेकर चलें लेकिन जब एक दिन खुद पर मुसीबत पड़ती है तो फिर सब रिश्ते याद आते हैं और ऐसे भी रिश्ते याद आने लगते हैं जिनके बारे में कभी सोचने को भी समय नहीं हुआ था लेकिन आज हम रिश्तों को सिर्फ याद ही करते हैं बाकी कुछ नहीं।हमारे पास कहने को कुछ नहीं रह जाता बस महसूस करते हैं उन रिश्तों को जिनसे हम दूर भाग रहे थे।
रिश्ते हुए पराए
कितनी अजीब बात है जिन्दगी में जिसे हम याद भी नहीं करना चाहते आज उसकी जरुरत का एहसास हमें होने लगता है आज हम उसे ही अपनी जिन्दगी का आधार मानने लगते हैं उसी पर सारी उम्मीदें टिक जाती हैं लेकिन वक्त का खेल वक्त के साथ ही चलता है वही हमारे साथ होता है जिसको होना होता है।हम जरुरत के हिसाब से रिश्ते निभाने की कोशिश करते हैं मतलब रिश्ते निभाते नहीं रिश्तों को इस्तेमाल करते हैं जो एक दिन हमें यह एहसास दिला देते हैं कि बिना रिश्तों के जिन्दगी नहीं चलती है जिन्दगी का सच यही है कि रिश्ते ही जिन्दगी हैं।
गुरुवार, 15 नवंबर 2018
नशा क्या है एक नजर
नशा क्या है
मनुष्य जीवन आनंद के लिए बना है किन्तु आनंद की भी अपनी सीमाएँ हैं हम उन सीमाओं का उल्लंघन करते हुए एक ऐसे कष्टदायी संसार में चले जाते हैं जहाँ से वापस आ पाना बहुत कठिन हो जाता है। ऐसे समय में हमारे पास पश्च्याताप के अलावा और कोई दूसरा शब्द नहीं रहता।
*नशे की लत ने हर शक्स को जिन्दगी से बहुत दूर धकेला है
नशे तो बहुत हैं मगर जिन्दगी का नशा अकेला है*
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बेतरतीब |
नशा एक रोग
जिस भी प्राणी को नशे की लत लग जाती है वह अपना सब कुछ एक-एक कर खोता जाता है, जिन्दगी उसे मौका ही नहीं देती बल्कि सारे मौके छीनना शुरू के देती है। ऐसे में जीवन बहुत कष्टदायी हो जाता है और इंसान अपनी ही नजरों में गिर जाता है वह अपने आप से घृणा करने लगता है, अपनी ही हरकतों पर अफसोस होता है, यह उसकी सबसे बड़ी हार होती है नशे की लत उसकी हर खुशियों पर कब्जा कर लेती है। नशा भी तरह-तरह का होता है मतलब किसी भी चीज का आवश्यक से अधिक इस्तेमाल करना नशा ही है। लेकिन आज जिस नशे पर ज्यादा चर्चा हो रही है वो एल्कोहल से सम्बंधित है।
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पश्चातप |
नशे से नुकसान
नशे की लत एक ऐसे जहर के समान है जो जहर हमें ही नहीं हमारे सगे- सम्बन्धियों को भी ऐसे रास्ते पर लाकर खड़ा कर देता है जहाँ से हर मंजिल का दरवाजा तो बन्द हो ही जाता है और साथ ही एक कदम चलने को भी रास्ता नजर नहीं आता।
*नशे से हम जीवन के पथ पर सही तरीके से आगे नहीं बढ़ पाते आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होते जाते हैैं।
*अपने लक्ष्य से दूर होते जाते हैं।
*सोच विचार क्षमता भी बहुत कम हो जाती हैै।
*खान पान या आहार ठीक से नहीं लेना।
*एक अनुभव से अनजान रहना, कुछ रोचक तथ्यों तक नहीं पहुँच पाना या जिन्दगी की मिठास से बहुत रहना।
*नशा करने के बाद उन सभी रिश्तेदारों से दूर भागते हैं जो हमेशा हमारा भला चाहते हैं जो हमारे भविष्य के बारे में चिन्तन करते हैं।
*नशा हमें वास्तविकता से दूर ले जाता है यह हमें एक ऐसे बंधन में बाँध देता है जिससे हम छुटकारा तो पाना चाहते हैं लेकिन छूट नहीं पाते।
नशे को कैसे दूर करें
जब नशे के इतने नुकसान साफ साफ नज़र आते हैं तो इसके बाद भी नशे के बारे में सोचना शायद सही नहीं है। फिर भी कुछ बातें रह जाती हैं नशे को खुद से दूर करने वाली।
अगर याद करें बचपन से लेकर अब तक की जिन्दगी को, हम कब अच्छे थे, कब बुरे बन गये, वो क्या वजह बनी जब बुरी आदतों से हम घिरने लगे उन सब चीजों के पास जाने लगे जो हमारे साथ-साथ किसी और के लिए भी ठीक नही था। क्यों हम ऐसे माहौल में पहुंच गये जिससे तकलीफ का सामना करना पड़ा ।
इतना आसान तो नही है ये सब किन्तु एक तरीका है , हमें खुद इस बारे में गहरा मंथन (सोच-विचार) करना होगा-
1-मैं क्यों बुरी आदतों का त्याग कर रहा हूं ?
2-इससे मुझे फायदा और नुकसान?
3- छोडने के बाद तकलीफ का सामना कैसे होगा?
ये सब अगर हमने सोच और समझ लिया तो ऐसी कोई मजबूरी सामने नही आ सकती जो हमें कमजोर कर दे और खुद पे जो विश्वास झलकता है वो कहीं और से मिलना मुमकिन नहीं।
जिन्दगी जो मिली है इसको आबाद करें ,आओ इस नशे को खुद से बरबाद करें।धन्यवाद
मंगलवार, 13 नवंबर 2018
'एक सफर' बचपन का
बचपन जो बीत गया
बचपन जो बीत जाए तो वापस कहाँ आता है,
उम्र भर की बातों का बचपन से जो नाता है।
हर एक पल बचपन का आँखों में आता है,
वक्त जो बीत जाए तो बचपन ही याद आता है।
और बचपन जो बीत जाए तो वापस कहाँ आता है।।
बचपन की यादें
बचपन जितना प्यारा ये नाम है इससे भी कई गुना ज्यादा प्यारा बचपन के वो दिन होते हैं जिन्हें हम ना जाने क्यों छोड़ आते हैं। आज हम सब यही सोचते हैं कि काश हम बड़े ही ना होते, ना समय गुज़रता, ना ही ये 'सफर' होता और ना ही समझौते ।
हसना-खेलना और चिल्ला कर रोना, फिर थक-हार कर खूब सोना,
बड़ा अजब खेल है जीवन का बचपन को यूँ जवानी में खोना।
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बाल्यावस्था |
बचपन के वो लम्हे
उन दिनों की याद में खो जाने में जो सुकून मिलता है
उस फूल जैसा है जो बाग में अकेला ही खिलता है।
ख्वाहिशों छोड़कर, बेफिक्र जीना बचपन कहलाता है।
उम्मीद और अपेक्षाएँ रखना बचपन को दूर भगाता है।
बचपन बहुत दूर रह गया अब रह गयी हैं यादें,
कहने को कुछ नहीं है फिर भी रह गयी बातें।
बचपन के सब दिन बीत गये ना रह गयी हैं रातें,
आओ
आओ
बाल दिवस के इस अवसर पर कर लें कुछ मुलाकातें।
बाल दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।
बच्चे, मन के सच्चे, दिल के अच्छे।
सोमवार, 12 नवंबर 2018
एक सफर मंजिल की ओर
अच्छा काम करने का कोई समय नहीं होता बस शुरू करना ही 'एक सफर' की शुरुआत है।
मैं जब भी अपने जिन्दगी की किताब को पलटकर देखता हूँ तो अफसोस के अलावा और कुछ नहीं मिलता, ये जो छोटा सा सफर रहा है इसमें इतनी अनगिनत गलतियाँ हुई हैं जिनका हिसाब नहीं लगाया जा सकता। किन्तु अब भी कुछ वक्त है जिसमें उन तमाम गलतियों के बदले कुछ ऐसा किया जाय कि खुद से जो सवाल हैं उनका जवाब मिल सके और एक सफर की शुरुआत की जाय।
जिन्दगी का सफर बड़े ही सुकून से तय होता है,उछल-कूद कर वही चलता है जिसे खुद से भय होता है।
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मुसाफिर |
बात उन गुनाहों से शुरू होती है जो बेवजह ही किसी के लिए किये जाते हैं, जिनका हमसे बहुत दूर का भी नाता नहीं होता जिन्दगी उनको हमारे इतने करीब ला देती है कि हमारे खुद के रास्ते तो बन्द हो ही जाते हैं, साथ में उनके भी रास्ते नजर नहीं आते। यह अजीब खेल लगभग हर किसी की जिन्दगी में शामिल होता है।
कितने दिल ऐसे भी हैं जो आज भी किसी की याद में अन्दर ही अन्दर बड़े जोर से धड़क रहे हैं और यह आवाज सुनने वाला बेशक पास ही हो लेकिन सच यही है की एहसास कराने वाला बहुत दूर हो जाता है। और यही जीवन का सत्य है जो हमारे नसीब में होता है वही हमारे करीब रहता है वरना क्या वजह थी उसके दूर जाने की जिसकी मुलाकात तकदीर ने वक्त से पहले की थी। हमें पर पल खुश रहने की जरुरत है जो मिल रहा है वही हमारा सब कुछ है इसी विचार से जिन्दगी के सफर का आनंद लेना 'एक सफर' की शुरुआत है।
चलते रहो ,
ना खुद रुको, ना रुकने दो।
जिन्दगी, 'एक सफर' है
इसे खूब उठाओ
ना खुद झुको, ना झुकने दो ।
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एक सफर
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