रविवार, 14 जून 2020

खुद की कमजोरियां ही खुदकुशी बन जाती है

जिंदगी जैसी चल रही होती है उससे कहीं दूर जीवन की सच्चाई है हमें हमारेे सच और झूठ का पता होता है, लेकिन हम किसी और की जिंदगी की गहराई में नहीं जा सकते। किसी के खुशियों को समझना शायद आसान है, लेकिन किसी के दर्द को समझना उसी के बस में होता है जो उस दर्द के मारे खुद को मार देता है । आंखिर कब रुकेगा ये सिलसिला जब एक इंसान खुद की कमजोरियों से खुदकुशी कर देता है । मेरी नजर में इंसान तब खुदकुशी करता है जब वो अपनी नज़रों में गिर जाता हो या अपने ही नज़रों में हार जाता हो ।

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